नासिरा शर्मा की कहानियाँ- एक अनुशीलन
Pages:79-80
Subhas Chander (Department of Hindi, Singhania University Pacheri Beri, Jhunjunu, Rajasthan)
नासिरा शर्मा की कहानियां जहां समाज को आईना दिखाने का कार्य करती है वहीं भाषाई आधर पर परिक्वता का परिचय देती है। भाषा के स्तर पर जब लोककथाओं के कदम आगे बढ़े तो कहानी दिखाई देने लगी और आध्ुनिक रूप में स्थापित होने के साथ ही भौगोलिक सीमाओं को तोड़कर चारों ओर अपने छीेटें बिखेरती नजर आने लगी। अपने तुलओं में धरती को छूती हुई, कहानी, खेत-खलयानों से गुजरती जागीदारों के शोषण, साहूकारों के अत्याचार, मजदूरों आसुओं का अहसास दिलाती, गांव-नगर, महानगरों में विचरण करती हुई, पारंगत आंगन में टीस कसक, कुण्ठा-शोषण आदि के धरातल पर सुख-दुख के हमसफर किरदारों की जीवंतता प्रदान करने लगी। कहानी में पुरूष को ही स्वीकार नहीं किया बल्कि नारी के भी विभिन्न रूप-स्वरूप को अपने कच्च का आधर बनाया। आज शिक्षित और आध्ुनिक नारी किन परिवर्तनों से गुजर रही है। उसका स्वभाव क्या है। उसकी मानसिकता किस रूप में करवट ले रही है?अनेक पहलुओं के दर्शन आज की कहानी में नजर आते हैं।
Description
Pages:79-80
Subhas Chander (Department of Hindi, Singhania University Pacheri Beri, Jhunjunu, Rajasthan)