कबीर काव्य में रहस्य-साधना

Pages:45-46
सुनीता कादयान आर्या (सी. आर. काॅलेज आॅफ एजुकेशन, हिसार, हरियाणा)

रहस्य शब्द ‘रह’ धातु में असुन् प्रत्यय लगने से ‘रहस्’ तथा यत् प्रत्यय जुड़ने से रहस्य बना हैं। व्युत्पति लय अर्थ के अन्तर्गत इस का अर्थ प्रतीयमान सत्ता से सम्बन्धित हैं। अमर कोष में ‘रहस’ शब्द का अर्थ एकान्त, निर्जन गुप्त, गुहा्र आदि बताया गया हैं। उसी से सम्बन्धित वस्तु को रहस्य की संज्ञा दी जाती हैं। उसी से सम्बन्धित वस्तु को रहस्य की संज्ञा दी जाती हैं। विश्व की इसी अव्यक्त की जिज्ञासा से रहस्यवाद सम्बन्धित हैं। “जब मानव आत्मा उस अव्यक्त सत्ता तक पहुंचने का प्रयास करती हुई विभिन्न प्रकार की अनुभूतियों को प्राप्त करती है और उन्हें भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करती है तो इस प्रकार के भाव समूह को साहित्यिक शब्दावली में रहस्यवाद कहते हैं।

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Pages:45-46
सुनीता कादयान आर्या (सी. आर. काॅलेज आॅफ एजुकेशन, हिसार, हरियाणा)