1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में महिलाओं का योगदानः एक अध्ययन
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Page: 291-294
सुरेश कुमार (History NET, Barwala Hisar, Haryana)
1857 के विद्रोह को ही भारत की स्वतंत्रता हेतु प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम माना जाता है। यह विद्रोह सफल रहा या नहीं, इसकी प्रति क्या थी, इसका विस्तार व मूल लक्ष्य क्या था, ये सब विषय इतिहासकारों को माथापच्ची कराते रहते हैं, किन्तु यह निर्विवाद है कि इसके बाद से भारत की स्वतंत्रता तक के भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन व सशस्त्र संघर्ष में भी, 1857 के विद्रोह ने हमारे क्रांतिकारियों का पथ प्रदर्शन किया है। इस क्रांति में हमारे वीर पुरखों ने तो अपना सर्वस्व बलिदान किया ही, हमारी वीरांगनाओं ने भी जो रोमहर्षक बलिदान किए, जो त्याग किए, और वीरता के जो कीर्तिमान स्थापित किए, वे न केवल भारतीय नारी के लिए, अपितु सम्पूर्ण नारी जाति के लिए भी अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत करते हैं। रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, रानी द्रौपदी बाई, अवन्तीबाई लाधो, यदि राज परिवारों की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं तो वीर नारी झलकारी बाई, उदा देवी, अजीजन बाई, आदि वीरांगनाएँ भारत के पिछड़े समाज से आने वाली महिलाओं के गौरव का प्रतीक हैं।
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सुरेश कुमार (History NET, Barwala Hisar, Haryana)