स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व गुणों में तुलनात्मक अध्ययन

Pages: 1529-1532
शैफाली अग्रवाल (जी.डी.एच.जी. कालेज, मुरादाबाद, यु.पी.)

व्यक्ति के अन्दर पायी जाने वाली प्रवृत्तियों को दो भागो (जन्मजात तथा अर्जित) में विभाजित किया जाता है। अनेक मनोवैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि व्यक्ति में लगभग सभी व्यवहारों का निर्देशन एवं संचालन इन जन्मजात प्रवृत्तियों के द्वारा किया जाता है। इन्हीं जन्मजात प्रवृत्तियों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रवृत्ति ‘‘जिज्ञासा’’ है, जिसके कारण हम अपने बारे में चारों ओर की परिस्थितियों के बारे में, वातावरण के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते है। इसलिए व्यक्ति अनेक प्रकार के व्यवहार करते है। व्यक्ति अपने उन व्यवहारों को ग्रहण कर लेता है जिनके द्वारा उसे अपनी समस्या सुलझाने में सफलता मिलती है और भविश्य में ऐसी समस्या दोबारा उत्पन्न होने पर उस व्यवहार को दोहराता है। व्यक्ति के यही व्यवहार उसके व्यक्तित्व की नई-नई विशेशताओं को विकसित करता है तथा व्यक्तित्व के गुणों का विकास होता है। प्रस्तुत अध्ययन के लिए ‘‘स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व गुणों का तुलनात्मक अध्ययन’’ का चुनाव किया गया है, जिसमें डा0 एस0डी0 कपूर के 16 पी0एफ0 के माध्यम 200 स्नातक स्तर के छात्र-छात्राओं पर अध्ययन करके, क्रिटिकल रेशियों के परिणामों के आधार पर यह ज्ञात किया कि छात्र तथा छात्राओं के व्यक्तित्व के 16 कारकों तथा समस्त व्यक्तित्व गुणों में से केवल 7 कारकों में सार्थक अन्तर पाया गया है। इन 7 कारकों में छात्रों के पक्ष में 4 कारक (बी.सी.एफ. तथा एच) पाये गये तथा छात्राओं के पक्ष में 3 कारक (ओ.क्यू.1 तथा क्यू 4) पाये गये ।

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Pages: 1529-1532
शैफाली अग्रवाल (जी.डी.एच.जी. कालेज, मुरादाबाद, यु.पी.)