भारत में जोतों का आकार एवं जनसंख्या का संबंधः एक विश्लेषण के रूप में
Original price was: ₹ 202.00.₹ 200.00Current price is: ₹ 200.00.
Pages: 330-332
Subhash Chander (Department of Geography, PPAC, Hisar, Haryana)
प्राकृतिक संसाधनों में भूमि एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। विकासशील देशों में 60 प्रतिशत से ऊपर जनसंख्या मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर करती है। कोई राष्ट्र विकसित हो या विकासशील जनसंख्या एवं कृषि योग्य भूमि के मध्य अनुकूल दशा होनी चाहिए परन्तु बढ़ती हुई जनसंख्या ने विश्व स्तर पर कृषि योग्य भूमि को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। जनसंख्या के बढ़ने पर जोतों का आकार घटता है अर्थात् जनसंख्या धनात्मक वृद्धि और जोतों के आकार में ऋणात्मक संबंध मिलता है। इस प्रकार की समस्या भारत में आजादी के बाद बढ़ती जा रही है जिससे अनेक प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं- जैसे जीडीपी पर प्रभाव, उत्पादकता एवं उत्पादन पर प्रभाव व बेरोजगारी आदि। यदि जनसंख्या वृद्धि दर को न रोका गया तो हमारे देश में जोतों का आकार इतना छोटा हो जाएगा कि कृषि के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भरता से हाथ धो बैठेंगे। अतः हमें इस विकराल समस्या से छुटकारा पाने के लिए सरकार सहयोग व जनजागृत करना बहुत जरूरी है।
Description
Pages: 330-332
Subhash Chander (Department of Geography, PPAC, Hisar, Haryana)