द्विवेदी कालीन गद्य में सुधारवादी चेतना

Pages:110-112
सुदर्शन राठी (हिन्दी विभाग, महाराजा अग्रसेन काॅलेज फाॅर वुमन, झज्जर, हरियाणा)

हिन्दी साहित्य के इतिहास में सन 1900 से 1920 तक का समय द्विवेदी युग या नवजागरण कीे संज्ञा से अभिहित किया जाता है। यह युग हर क्षेत्र मे एक क्रांति के साथ उपस्थित हुआ है। भारतीय जनजीवन में एक राष्ट्रीय भावना संचारित हुई। यह राष्ट्रीय भावना सुधारवादी प्रवृति पर आश्रित थी। इस काल में भारतीयों में राजनैतिक , आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और साहित्यिक क्षेत्र में एक नवीन चेतना का संचार हुआ। यह नवचेतना संस्कृति में उत्थान, राजनीति में स्वशासन और स्वतंत्रता, अर्थनीति में स्वावलम्बन और समृद्धि, राजनीति में उन्नति और प्रगति, साहित्य कला में विभिन्न गद्य विधाओं के विकास एवं सूत्रपात के रूप में दृष्टिगोचर होती हैै। इस प्रकार सुधारवादी चेतना की खुशबू इस युग केे कोने-कोने में छिटक रही हैं।

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सुदर्शन राठी (हिन्दी विभाग, महाराजा अग्रसेन काॅलेज फाॅर वुमन, झज्जर, हरियाणा)