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डाॅ0 महाश्वेता चतुर्वेदी के साहित्य में शैली व उसका स्वरूप

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Pages:216-220
सुशीला (हिन्दी विभाग, भिवानी, हरियाणा)
सुशीला (हिन्दी विभाग, भिवानी, हरियाणा)

‘शैली’ पाश्चात्य, साहित्यालोचन मंे विवेचित ‘स्टाइल’ का हिन्दी पर्याप है। ‘स्टाइल’ शब्द लेटिन ‘स्टाइलस’ से निष्पन्न है। ‘स्टाइलस’ एक प्रकार की धातु निर्मित लेखनी होती थी, जिससे मोम की पट्टियांे पर शब्द अंकित किए जाते थे। इस शब्द का प्रयोग क्रमशः लेखन कार्य के कौशल और नैपुण्य के अर्थ मंे होने लगा। पाश्चात्य साहित्यालोचन मंे प्लेटो- अरस्तू युग से ही ‘-स्टाइल’ को दो भिन्न-भिन्न अर्थों में ग्रहीत किए जाने की परम्परा रही है। प्लेेटोवादी विवेचकांे के अनुसार प्रत्येक उक्ति मंे ‘शैली-तत्त्व’ की स्थिति अनिवार्य नहीं है, जबकि अरस्तू वादियांे मंे ‘शैली’ अभिव्यक्ति मात्र का अनिवार्य अंग है, यह और बात है कि वह सबल या दुबल अथवा अच्छी या बुरी किसी भी प्रकार की हो।

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Pages:216-220
सुशीला (हिन्दी विभाग, भिवानी, हरियाणा)
सुशीला (हिन्दी विभाग, भिवानी, हरियाणा)