‘‘अंध-अपाहिजों की सहायता करने के लिए नई दृष्टि की आवश्यकता‘‘ विकलांगो की समस्या और उपाय
Pages:19-21
आशा कृष्णाजी कुलकर्णी (मुकबधीर विद्यालय, सातारा, महाराष्ट्र)
उपरोक्त विषय के बारे में प्रस्तुत लेख माला के उपरोक्त दो पुष्प है। विकलांगो के बारे मे मैने आपने जीवन भर के अनुभव से जो देखा और सिखा उवा सार इस लेख माला में दिया जा रहा है। दृष्टि बाधीतता और अंधत्व सबसे कठीण और पराधीनता के बारे मे दृष्टि न होने के कारण सबसे दुर्बलम घटक है। क्योंकि 80ः ज्ञान दृष्टि या नेत्र से मिलता है। और दृष्टि बाधित विकलांगो को नेत्र या दृष्टि का कोई लाभ नही मिलता। फिर भी अपने परिश्रम जिज्ञासा और स्वाभिमान के कारण दृष्टि बाधित विकलांगो ने जीवन की जो उंचाई हासील कि है वह काबिले तारिफ है। इसलिए दृष्टि बाधित विकलांगो के बारे में मैने पहले लिखना उचित समझा है। उसके बाद मतिमंद, इसके बाद अस्थिव्यंग, और आखरी मे मुकबधीर विकलांगो के बारे मे उनकी समस्या और उपायों के बारे मे मैं क्रमशः लिखने वाली हुँ।
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Pages:19-21
आशा कृष्णाजी कुलकर्णी (मुकबधीर विद्यालय, सातारा, महाराष्ट्र)