
गांधी दर्शन व महिला समाज हरियाणा राज्य के संदर्भ में
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Pages: 1281-1286
Sushma Rani (Department of History, Maharani Lakshmi Bai College, Hisar, Haryana)
गांधी जी ने स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व के भारत को अपने विचारों व कार्यों से एक सकारात्मक सोच प्रदान की थी, उन्होंने उस समय के महिला समाज को जागृत किया जब पुरूष समाज ही स्वयं को शक्तिहीन व विचारहीन मान चुका था। गांधी जी का मानना था कि जब तक महिला शक्ति का इस्तेमाल नहीं होगा तब तक समाज में किसी भी परिवर्तन की उम्मीद करना निरर्थक होगा, गांधी जी स्त्री व पुरूष के लिए समान शिक्षा के पक्षधर थे। उनके अनुसार शिक्षा का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं, बल्कि अच्छा बनना और देश सेवा करना है। महिलाओं के तमाम शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्तियों के सर्वन्तोमुखी विकास के लिए वे शिक्षा को महत्वपूर्ण मानते थे। यह गांधी जी के विचारों का ही प्रभाव था कि हरियाणा में भी कितनी ऐसी महिलाएं थी जो घर व राज्य की चार दीवारी से निकल गांधी जी के साथ कदम से कदम मिलाती हुई स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ रही थी। गांधी जी के विचारों व आर्य समाज के क्रियाकलापों में काफी समानता थी। यही कारण था कि हरियाणा में आर्य समाज से जुड़ने वाला परिवार गांधी दर्शन से भी जुड़ा हुआ था और इसका प्रभाव गांधी जी के प्रत्येक आंदोलन में देखने को मिला जहाँ पुरूषों के साथ-साथ हरियाणा की महिलाएं भी बढ़-चढ़ कर भाग ले रही थी और उन्हें गिरफ्तारियाँ देने में भी परहेज (गुरेज) नहीं था। इन आंदोलनों में हरियाणा की महिलाओं ने अपनी वीरता के ऐसे उदाहरण पेश किए कि वे दूसरे प्रान्तों की महिलाओं के लिए भी मिसाल बन गई। इनमें से कस्तूराबाई का नाम सदैव उल्लेखनीय रहेगा। जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से गांधी जी के विचारों को पूरे हरियाणा में फैलाया व महिला समाज को जागृत किया। यह गांधी जी के ही विचारों का प्रभाव था कि महिला समाज रूढ़िवादी परम्पराओं के विरोध में खड़ा होकर गांधी जी द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता आंदोलनों में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा था।
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Pages: 1281-1286
Sushma Rani (Department of History, Maharani Lakshmi Bai College, Hisar, Haryana)