किशोरों में हिंसक अभिवृत्ति परिवर्तन हेतु प्रेक्षाध्यान का प्रभावः एक अनुभव मूलक अध्ययन

Pages: 1044-1048
अनिल धर एवं राजकुमार (जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं, राजस्थान)

वर्तमान अध्ययन में 14 से 20 वर्ष के 9वी से 12वी कक्षा के छात्रों (लडकों) के न्यादर्श पर प्रेक्षाध्यान का उनकी हिंसक प्रवर्ति पर प्रभाव सम्बन्धि अन्वेषण किया गया इसमें पूर्व परिक्षण व चार माह बाद पश्च परिक्षण किया गया जहाँ नियंत्रित समूह मे 30 व प्रायोगिक समूह में 90 मानव सहभागी थें प्रायोगिक समूह को 30-30 के तीन समूहों में बांटा गया जिसमें प्रायोगिक समूह प्रथम ने 30 मिनट तक आसन व प्राणयाम, प्रायोगिक समूह 2 के 30 प्रायोज्यों ने प्रेक्षाध्यान (महाप्राण ध्वनि, श्वास प्रेक्षा, ज्योति केन्द्र प्रेक्षा, अनुपे्रक्षा) इस शोध कार्य में नियंत्रित व प्रायोगिक समूह के किशोरों की आक्रामकता मापने हेतु आक्रामकता मापनी (कुमारी रोमापाल, श्री तस्नीम नकबी, 1999) का प्रयोग किया गया। नियंत्रित व प्रायोगिक समूह के मध्य अन्तर व अन्तरा मे भिन्नता देखने हेतु टी सांख्यकी का प्रयोग किया गया और यह निष्कर्ष पाया गया पूर्व-प्रयोगिक समूह 1 व नियंत्रित समूह का हिंसात्मक अभिवर्ती के स्तर में कोई सार्थक एवं महत्वपूर्ण सांख्यकीक अंतर नही पाया गया। पूर्व-प्रयोगिक समूह 2 व नियंत्रित समूह का हिंसात्मक अभिवर्ती के स्तर में कोई सार्थक एवं महत्वपूर्ण सांख्यकीक अंतर नही पाया गया। पूर्व-प्रयोगिक समूह 3 व नियंत्रित समूह का हिंसात्मक अभिवर्ती के स्तर में कोई सार्थक एवं महत्वपूर्ण सांख्यकीक अंतर नही पाया गया। पश्च-प्रायोगिक समूह 1 व पश्च-प्रायोगिक समह 2 के हिंसात्मक अभिवर्ति के स्तर में सार्थक एवं सांख्किीय रूप से महत्वपूर्ण अंतर पाया गया। पश्च-प्रायोगिक समूह 2 व पश्च-प्रायोगिक समह 3 के हिंसात्मक अभिवर्ति के स्तर में सार्थक एवं सांख्किीय रूप से महत्वपूर्ण अंतर पाया गया। पश्च-प्रायोगिक समूह 1 व पश्च- प्रायोगिक समह 3 के हिंसात्मक अभिवर्ति के स्तर में सार्थक एवं सांख्किीय रूप से महत्वपूर्ण अंतर पाया गया।

Description

Pages: 1044-1048
अनिल धर एवं राजकुमार (जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय, लाडनूं, राजस्थान)