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घरेलू एवं कामकाजी महिलाओं के सामाजिक समायोजन का तुलनात्मक अध्ययन

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Pages: 98-103
शैफाली अग्रवाल (प्रवक्ता मनोविज्ञान विभाग, गोकुलदास गल्र्स कालेज, मुरादाबाद)

विज्ञान एवं तकनीकी विकास ने व्यक्ति को इस योग्य बनाया है कि वह अपनी आवश्यकताओं को तो पूर्ण कर रहा है लेकिन वह न तो उनसे स्वयं ही पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो पा रहा है और न ही समाज के साथ अपना समायोजन बना पा रहा है समाज के हर क्षेत्र में एक महिला का महत्व सर्वाधिक है। क्योंकि इन्ही महिलाओं को बच्चे की सर्वप्रथम शिक्षिका माना गया है, यदि इन्ही का सामाजिक समायोजन ठीक नहीं होगा तो समाज का भविष्य भी अधर में है। इसी समस्या के कारण मैंने अपने अध्ययन का विषय ‘‘कामकाजी एवं घरेलू‘‘ महिलाओं के सामाजिक समायोजन का ‘‘तुलनात्मक अध्ययन‘‘ विषय का चुनाव किया। अध्ययन के लिए देवेन्द्र सिंह सिसोदिया एवं रचना खण्डेलवाल द्वारा निर्मित ैवबपंस ।करनेजउमदज ैबंसम वित जीम ।हमक ;ै।ै।द्ध का चुनाव किया और इसमें 100 महिलाओं का प्रतिदर्श लिया। जिसमें 50 घरेलू और 50 कामकाजी महिलाए थी। इन महिलाओं पर अध्ययन करके यह ज्ञात करने का प्रयास किया कि कामकाजी एवं घरेलू महिलाओं के सामाजिक समायोजन में देखे और कितना अन्तर पाया जाता है।

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Pages: 98-103
शैफाली अग्रवाल (प्रवक्ता मनोविज्ञान विभाग, गोकुलदास गल्र्स कालेज, मुरादाबाद)