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हिन्दी कथा-साहित्य के विकास की रूपरेखा
Pages:72-75
कामना कौशिक (हिन्दी विभाग, सी.एम.के.नैशनल पी.जी. गल्र्ज महाविद्यालय, सिरसा)
कहानी निस्संदेह साहित्य का एक ऐसा अत्यधिक कोमल अंग है, जो अत्यन्त सम्वेदनशील कलाकार की अपेक्षा करती है। जितना कथाकार सतर्क एवं सजीव होगा, उतना ही वह कहानी में संचेतना और संश्लिष्टता का चित्रण कर सकेगा। कहानी किसी एक परिस्थिति या मनः स्थिति पर कई कोणों से आलोक फेंकती हुई सामान्यतः भाव विकास और चरम सीमा के शिल्प को अपनाती है। कथा में विषय की प्रधानता रहती है । काव्य के आस्वादन के दो माध्यम है -श्रवण एवं दर्शन । कहानी श्रवण का अंग है अर्थात् जिसको पढ़कर अथवा सुनकर मनोरंजन किया जा सकता है ।
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Pages:72-75
कामना कौशिक (हिन्दी विभाग, सी.एम.के.नैशनल पी.जी. गल्र्ज महाविद्यालय, सिरसा)