हरियाणा में शिक्षा का विकास (प्राचीनकाल से 19वीं शताब्दी तक)

Pages:151-154
बलबीर सिंह (एन.एम. गवर्नमैंट पी.जी काॅलेज, हांसी, हिसार, हरियाणा)

प्राचीन काल में हरियाणा प्रदेश में शिक्षा की दशा काफी उन्नत थी। वैदिक युग में शिक्षा के दो उद्देश्य थे प्रथम जीवन को सुखमय तथा प्रतिश्ठित बनाना और दूसरा मोक्ष की प्राप्ति। हरियाणा में प्राचीन काल में कोई गुरूकुल थे इनमें राखीगढी, स्याणा, बधोत, दोसी, दुबलधन, कलायत, ब्यासस्थली, पेहवा और थानेसर आदि प्रसिद्ध थे। इनके अतिरिक्त अन्य सैंकड़ो गुरूकुल थे। वैदिककाल के बाद शिक्षा प्रणाली में कई परिवर्तन आए। पाठ्यक्रम काफी सीमा तक व्यापक हो गया। ब्राह्मणों के अतिरिक्त दो और प्रकार के गुरूकुल या मठ अस्तित्व में आए जिन्हें बोद्ध या जैन आचार्य चलाते थे। शिक्षा का स्तर इस समय काफी प्रभावशाली था। समकालीन साहित्य जैसे ब्राह्मण आदि हरियाण क्षेत्र के लोगों की शैक्षणिक योग्यता के बारे मंे अति प्रशंसा करते थे। बाण भट्ट सातवीं शती की स्थिति तक का गवाह है वह कहता है कि महाराजा से लेकर छोटे दासों तक सभी उच्च शिक्षा से विभूशित थे।

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बलबीर सिंह (एन.एम. गवर्नमैंट पी.जी काॅलेज, हांसी, हिसार, हरियाणा)