संत रविदास के जीवन-वृत्त से संबंधित किंवदंतियों पर ब्राह्मणवादी वर्चस्व का प्रभाव
Pages:42-44
प्रवेश कुमार (शोधार्थी, हिन्दी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़)
भारत में आर्यों के आगमन के साथ ही सनातन धर्म का आगमन हुआ। सनातन धर्म का आधार वर्ण-व्यवस्था है। वर्ण-व्यवस्था के सैद्धान्तिकरण के माध्यम से ब्राह्मण वर्ग ही सर्वोपरी हो गया और ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ग की सेवा का दायित्व शूद्र और अवर्ण वर्ग पर आ गया। इस प्रकार, वर्ण-व्यवस्था ब्राह्मण वर्ग की पोषक बनी। ब्राह्ममणों का धर्म-संचालन और शिक्षण पर एकाधिकार होने के कारण ब्राह्मणवाद का वर्चस्व सदैव बना रहा। इसी वर्चस्व को बनाए रखने के लिए चमत्कारिक किंवदंतियों और आडम्बरों की संख्या बढ़ती रही। ब्राह्मणवाद के वर्चस्व पर प्रथम मुख्य प्रतिक्रिया बौद्ध धर्म द्वारा की गई। महात्मा बुद्ध ने वर्ण-व्यवस्था व अवतारवाद का विरोध किया तथा समाज को आडम्बरों से मुक्ति का मार्ग दिखाया। परन्तु, महात्मा बुद्ध को ही विष्णु का अवतार बताया जाने लगा।
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प्रवेश कुमार (शोधार्थी, हिन्दी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़)