Sale!

संताल एवं उनकी रचनात्मकताः एक विश्लेषण

Original price was: ₹ 222.00.Current price is: ₹ 200.00.

Pages: 385-387
कुमारी रश्मि एवं लक्ष्मी पाण्डेय ( मनोविज्ञान विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार)

समाजवैज्ञानिक स्तर पर आदिवासीयों को सूक्ष्म स्तरीय दृष्टि से समझने के लिए कई अध्ययन हुए हैं, पर वे
अध्ययन आदिवासियों की समस्त विशेषताओं पर पर्याप्त प्रकाश नहीं डाल पाते हैं। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य
संताली आदिवासियों में रचनात्मकता का निर्धारण करना है तथा इन विभिन्न आयामों के संदर्भ में
गैर-आदिवासियों के साथ उनके तुलनात्मक विश्लेषण से प्राप्त परिणामों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना है।
अध्ययन-उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरल यादृच्छिकी प्रतिदर्थ पद्धति द्वारा 200 संताली (प्रयोगात्मक समूह)
तथा 100 गैर-संताली (नियंत्रित समूह) छात्रों का अध्ययन किया गया। अध्ययन में संलग्न रचनात्मकता तथा
उसके विभिन्न आयामों के मापन के लिए पासी (1979) द्वारा हिन्दी में विकसित रचनात्मकता परीक्षण का उपयोग
किया गया। प्राप्त परिणाम से यह स्पष्ट होता है कि रचनात्मकता एवं उसके विभिन्न आयामों पर संताली छात्र,
गैर-संताली छात्रों से निम्न अंक प्राप्त किये तथा इन दोनों समूहों के बीच का अन्तर रचनात्मकता तथा उसके
विभिन्न आयामों पर सार्थक भी है। अतः प्राप्त परिमाण के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि संताली छात्र,
गैर-संताली छात्रों की अपेक्षा कम रचनात्मक थे।

Description

Pages: 385-387
कुमारी रश्मि एवं लक्ष्मी पाण्डेय ( मनोविज्ञान विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार)