संचार माध्यमों की लोकतंत्र में भूमिका
Pages:195-197
राजेश्वर, प्रदीप सिंह बल्हारा (पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, सिंघानिया विश्वविद्यालय, पाचेर बारी, जिला झुंझुनु, राजस्थान)
आज देश या विदेश में कहीं भी कोई बड़ी या छोटी घटना हो उसकी खबर कुछ ही पल में हर घर में पहुंच जाती है। यह सब संचार माध्यमों के कारण ही संभव है कि हर खबर सैकेंडों में आप तक पहुंच जाती है। ऐसा ही संचार माध्यम है मीडिया जिससे यह संभव हो पाया है। मीडिया के कारण ही अन्ना हजारे व स्वामी रामदेव के आंदोलन के साथ लोग जुड़े। उनकी भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ चली मुहिम को मिले अपार जन समर्थन के पीछे मीडिया का ही अहम भूमिका थी। मीडिया ने इन मुद्दों को इतनी प्रमुखता से जन-जन तक पहुंचाया कि जनता इनके समर्थन आ गई और सरकार को झुकना पड़ा। ‘संचार माध्यमों की लोकतंत्र में भूमिका’ एक ऐसा विषय है जो काफी सामयिक है। इंग्लैंड के महान वक्ता व दार्शनिक एडमण्ड बर्म ने प्रेस को लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कहा था। हालांकि बर्म महोदय का आशय था कि तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के तीन स्तंभ हाउस ऑफ कामंस, हाउस ऑफ लॉर्डस और स्प्रितुअल लार्डस के बाद चैथा स्थान प्रेस का ही है। वहीं भारतीय परिप्रेक्ष्य में हम कह सकते हैं कि सरकार के तीन स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के बाद चैथा स्थान प्रेस अर्थात संचार माध्यमों का है। स्पष्ट है कि संचार माध्यमों की लोकतंत्र में भूमिका तलाशने के लिए हमें लोकतंत्र और संचार माध्यम को अलग-अलग तरह से देखते हुए दोनों में संबंध खोजना जरूरी है। इसलिए हम लोकतंत्र और संचार माध्यमों की परिभाषाएं देते हुए इन पर प्रमुखता से प्रकाश डालेंगे।
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राजेश्वर, प्रदीप सिंह बल्हारा (पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, सिंघानिया विश्वविद्यालय, पाचेर बारी, जिला झुंझुनु, राजस्थान)