वेदों में निहित यज्ञ कर्म का महत्त्व

Pages:63-65
पिंकी शर्मा (हिन्दी विभाग, चै. बंसीलाल महाविद्यालय, लोहारू, भिवानी, हरियाणा)

यज्ञ वेद कालीन संस्कृति की समन्वय-भावना को उजागर करता है। वेद भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं आध्यात्मिकता के मूल हैं। इनमें मानव-परिमार्जन का गुण निहित है। वेद वर्णित विविध विषयों में यज्ञ भी एक महत्त्वपूर्ण विषय है। यज्ञ एक ऐसा कर्म है, जिसके द्वारा समाज के आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक पक्ष को प्रदर्शित किया जा सकता है। यज्ञ आध्यात्मिक जीवन के आधार शिला माने गए हैं। वस्तुतः यज्ञ वेद कालीन समाज की एकता और धार्मिक प्रवृत्तियों के द्योतक हैं। ये वेद परक संस्कृति के स्तम्भ कहे गए हैं, क्योंकि यज्ञों में समस्त देवों की शक्तियाँ एवं समग्र मानवता का स्वरूप विद्यमान है।

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पिंकी शर्मा (हिन्दी विभाग, चै. बंसीलाल महाविद्यालय, लोहारू, भिवानी, हरियाणा)