मीरा की काव्य दृष्टि

Pages:77-78
Reena Yadav (Department of Hindi, Singhania University Pacheri Beri, Jhunjunu, Rajasthan)

मानवीय अनुभूतियों की सिद्धि की पराकाष्ठा ही उत्तम काव्य है। जीवन के प्रति अनुराग ही मानवीय अनुभूतियों की सिद्धि है और उस सिद्धि का आधार प्रेम-तत्व है। यही प्रेम-तत्व कबीर का ढाई आखर है। जिसके सहारे मनुष्य लौकिक सम्बन्धों के रूप में तथा उस निराकार को साकार रूप में परिवर्तित करके अलौकिक सम्बन्ध के रूप में जीवन को साकार रूप देता रहा है। इसी प्रेम के दर्शन से जीवन की अनेक दृष्टिमयी चेतना पर विस्फुटित हुई है, जिनसे मनुष्य आनन्द की अनुभूति करता है। जहां कहीं मानव हृदय का कोई कोना प्रेम से आपूरित नहीं हो सका है वहीं उसने तड़प-तड़प कर उस अभाव की अनुभूति की है और उसके विकल्प को तलाश भी किया है।

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Pages:77-78
Reena Yadav (Department of Hindi, Singhania University Pacheri Beri, Jhunjunu, Rajasthan)