महाभारत में जनपद व्यवस्था तथा प्रमुख जनपद
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Pages:9-11
संजीत कौर (पी.जी.टी, संस्कृत, हरियाणा)
प्रदेश शब्द का उल्लेख महाभारत में अनेक स्थानों पर मिलता है। महाभारतीयकालीन प्रादेशिक संकल्पना के आधार पर एक प्रदेश मंे अनेक राज्य हो सकते हैं। प्राकृतिक प्रदेश मानवीय क्रियाकलापों के सम्मिलित योग की छाप से वह भौगोलिक प्रदेश कहलाता है। प्रदेश का यही रूप महाभारत में उल्लेखित है। कोई भी प्रदेश जो वर्तमान में हमारे समक्ष जिस रूप में स्थित है व उसका अपना ऐतिहासिक एवं भौगोलिक स्वरूप होता है। उदाहरण स्वरूप गंगा-जमुना दोआब का वर्तमान स्वरूप, जो वैदिक, रामायण और महाभारत से भिन्न है। वर्तमान में यह एक कृषि क्षेत्र है, परन्तु महाभारत-काल में यह कृषि के साथ-साथ एक वन प्रदेश भी था। महाभारत में आये जनपदों का दिशानुसार निर्धारण प´्चदिक् प्रदेशों के रूप में हुआ है। महाभारत के सभापर्व के अनुसार इन्द्रप्रस्थ में होने वाले राजसूर्य-यज्ञ को निमित्त मानकर युधिष्ठिर ने अपने चारों भाइयों, चारों दिशाओं के जनपदीय राज्यों को विजय करने हेतु सेना सहित भेजा था
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संजीत कौर (पी.जी.टी, संस्कृत, हरियाणा)