मन्नू भंडारी के कथा साहित्य में बाल मनोविज्ञान
Pages:38-41
अंजनी पाठक व पूनम वर्मा (हिन्दी विभाग, डाॅ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय, कोटा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़)
‘‘कोई भी साहित्यकार समाज से असंपृक्त रहकर रचनाधर्म में प्रवृत्त नही हो सकता। जिस परिवेश में वह पलता है कृतिकार के कृतित्व के पीछे उसका व्यक्तित्व होता है जिसे उसके सर्जन का आन्तरिक स्त्रोत कहा जा सकता है, सर्जन व्यक्तित्व की आन्तरिक गहराइयों से उभरता है और रुप ग्रहण करता है। कथा लेखिका मन्नू भण्डारी का सर्जक व्यक्तित्व भी अपने परिवेश की टकराहट से बना हुआ है। बाल मनोविज्ञान के अन्र्तगत आपका बंटी मन्नू जी की सर्वश्रेष्ठ रचना कहीं जाए तो अतिश्योक्ति नही होगी।
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Pages:38-41
अंजनी पाठक व पूनम वर्मा (हिन्दी विभाग, डाॅ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय, कोटा, बिलासपुर, छत्तीसगढ़)