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भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव का मुकद्दमा’
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Pages: 2095-2098
जोगिन्द्र सिंह (इतिहास विभाग, दयानन्द काॅलेज, हिसार, हरियाणा)
भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव का मुकद्दमा भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण केस है। जिसे लाहौर षडयंत्र केस के नाम से जाना जाता है। सामान्यत ऐतिहासिक सन्दर्भ में दो लाहौर षड़यन्त्र केस माने जाते हैं। जिनमंे प्रथम केस गदर आन्दोलन से जुड़ा है तथा दूसरा केस क्रान्तिकारी आन्दोलन के दूसरे चरण से जुड़ा है। जिसके तहत शहीद भगत सिंह व उसके साथियों को 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई। इस केस के माध्यम से अगं्रेज सरकार ने शाक्ति के बल पर भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को कुचलने का प्रयास किया। मुकदमें की कार्यवाही एक दिखावा थी क्योंकि सरकार सजा का निर्णय पहले ही ले चुकी थी। इससे औपनिवेशिक कार्य प्रणाली व व्यवस्था का पता चलता है। दूसरी और यह केस क्रान्तिकारी इतिहास में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि क्रान्तिकारियों द्वारा खुलकर व्यवस्था के ढांेग को उजागर किया। मुकदमें में हर कदम पर बाधा डाली। सरकार की अमानवीय गतिविधियों को झेला तथा भूख हड़ताल इत्यादि द्वारा वैधानिक तरीकों से जेल की स्थिति को सुधारने का प्रयास किया। जिसमें वे आशिंक रूप से कामयाब भी रहे। अतः लाहौर षड्यन्त्र केस ने भारतीय स्वंतत्रता संग्राम की गति को नई तीव्रता प्रदान की और देश को स्वतंत्र कराने में अहम रोल अदा किया तथा भगत सिंह व उसके सहयोगी युवा पीढ़ी के आदर्श बन गए।
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Pages: 2095-2098
जोगिन्द्र सिंह (इतिहास विभाग, दयानन्द काॅलेज, हिसार, हरियाणा)