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बुलन्दशहर में मानव संसाधन विकास की समस्याएँ

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Pages: 226-230
सुरेश कुमार (कलौदा खुर्द, नरवाना जीन्द, हरियाणा)
सुभाष चन्द्र व विनोद कुमारी (समाज शास्त्र विभाग, चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा)
सुभाष चन्द्र व विनोद कुमारी (समाज शास्त्र विभाग, चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा)

अध्ययन क्षेत्र में उत्तर-प्रदेश के बुलन्दशहर जनपद को सम्मिलित किया गया है। यह क्षेत्र पश्चिमी उत्तर-प्रदेश का एक उपजाऊ मैदान है। भौगोलिक दृष्टि से जनपद बुलन्दशहर ऊपरी गंगा के पश्चिमी भाग में 28व 0श् 40श् से 28व 40श् 40श् उत्तरी अक्षांशों तथा 77व 138श् 0श् पूर्वी देशान्तरों के मध्य 3458 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में विस्तृत है। जनपद में 7 तहसीलें, 15 विकास खण्ड, 147 न्याय पंचायतें तथा 1195 ग्राम हैं जिनमें से 1122 आबाद ग्राम हैं। यहाँ 2001 की जनगणनानुसार कुल जनसंख्या 29.23 लाख है। साक्षरता की दृष्टि से बुलन्दशहर जनपद का प्रदेश में 27वाँ स्थान है। 1991 से 2001 के मध्य 22.22ः जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई। कृषि उत्पादन में भारी वृद्धि के बावजूद क्षेत्र खाद्यान्न के अभाव से पीड़ित है। 1999-2000 के सत्र में लगभग 2 करोड़ 66 लाख व्यक्ति बेरोजगार थे। छोटे आकार के जोतों की संख्या में वृद्धि हुई जबकि बड़े आकार के जोतों की संख्या अपेक्षाकृत कम हुई है। प्रस्तुत बुलन्दशहर के अध्ययन में पूंजी निर्माण का प्रतिकूल प्रभाव, सामाजिक विघटन, संयुक्त परिवारों का टूटना, सामाजिक वैमनस्य की समस्या, लिंगानुपात में असंतुलन, असामाजिक व घृणित प्रवृत्तियों में वृद्धि व पर्यावरण प्रदूषण आदि समस्याएँ पाई गई हैं। जनसंख्या की वृद्धि तथा अन्य सामाजिक, आर्थिक समस्याओं को दृष्टिगत् रखते हुए नियोजन हेतु सुझाव प्रस्तुत करना ही उक्त अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य है।

Description

Pages: 226-230
सुरेश कुमार (कलौदा खुर्द, नरवाना जीन्द, हरियाणा)
सुभाष चन्द्र व विनोद कुमारी (समाज शास्त्र विभाग, चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा)
सुभाष चन्द्र व विनोद कुमारी (समाज शास्त्र विभाग, चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा)