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नासिरा शर्मा की कहानियों में संवेदना
Pages:74-76
Subhas Chander (Department of Hindi, Singhania University Pacheri Beri, Jhunjunu, Rajasthan)
कवि हो या लेखक जब वह एक विचारक के वजूद में खड़ा होता है तब उसको सारी एक देशीय भाषायीर सीमाएं टूट जाती है। आम आदमी का दर्द उसका दर्द बन जाता है। धरती आकाश के बीच अपनी बनाई हुई सीमओं में रहने वाले लोग किसी भी देश, धर्म, भाषा बोलने वाले हो। उसके अपने निजी हो जाते है। सबका दर्द उसका अपना निजी दर्द बन जाता है। तब आंसुओं को लड़िया बनती है और जब आंसू थक जाते हैं तब वह लेखनी के औजार से पीड़ा को शब्द देने में लग जाता है। एक ऐसी ही विचारक, चिंतक नासिरा शर्मा है जो साहित्य के क्षेत्रा में ठोस जमीन पर खड़ी हुई है। मैने इस पर एक नई दृष्टि से विचार किया है।
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Pages:74-76
Subhas Chander (Department of Hindi, Singhania University Pacheri Beri, Jhunjunu, Rajasthan)