डा० सूर्यनारायण द्विवेदी का उपन्यास आशाशिशु में नारी चित्रण
Pages:202-204
सरोज बाला (हिन्दी विभाग, सांईनाथ विश्वविद्यालय, रांची।)
डा. सूर्यनारायण द्विवेदी द्वारा रचित उपन्यास साहित्य में ‘आशाशिशु‘ का प्रमुख स्थान है। इस उपन्यास का प्रकाशन 1999 में वाराणसी में श्री श्री राधा प्रकाशन संस्थान से हुआ था। आलोच्य उपन्यास में नारी का चित्रण विभिन्न रुपों में हुआ है। इस उपन्यास का प्रमुख कथानक देवर्शि नारद के द्वितीय जन्म पर आधारित है। ‘आशाशिशु‘ उपन्यास में नारद अंशुल की माता उपयमा व मौसी चीमा का नारी चित्रण प्रमुख रुप से हुआ है। तिलोतमा, उर्वसी मेनका आदि स्र्वग अपसराओं की सुन्दरता का वर्णन भी यन्त्र-तन्त्र से हुआ है। उपन्यास के तत्वो में चरित्र-चित्रण का सर्वाधिक महत्व है। यदि कथानक उपन्यास मेरुदंण्ड है तो चरित्र-चित्रण उसका प्राण है। पात्र सामान्यतः मनुष्य ही होते हैं। उपन्यासकार स्वंय भी मनुश्य ही होता है। इस कारण उसमें और उसके पात्रों में अद्भुत साम्य होता है।
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सरोज बाला (हिन्दी विभाग, सांईनाथ विश्वविद्यालय, रांची।)