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चौधरी चरणसिंह के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विचारों पर अध्ययन
Pages:194
अजय सिंह (रिसर्च स्कोलर, सिघानिया विश्वविद्यालय पचेरी बड़ी झुन्झुनू, राजस्थान)
चैधरी चरणसिंह सामाजिक कार्यकर्ता एवं गांधीवादी विचारक थे उन्होने उत्तर प्रदेश के शासन का अनुभव प्राप्त करके भारत के लिए आर्थिक नीति को समझाने का प्रयास किया चैधरी चरणसिंह के विचार उनके द्वारा लिखित भारत की अर्थनीति-गांधीवादी रूपरेखा, भारत की भयावह आर्थिक स्थिती कारण और निदान तथा इण्डियन पावर्टी एण्ड इट्स सोल्यूसन पुस्तको में मिलते है। चैधरी चरणसिहं के अनुसार स्वतंत्र भारत को विरासत में चार समस्याएं मिली है जिनका परस्पर सम्बंध है 1. गरीबी 2. बेरोजगारी 3. आय की विषमता 4. कठोर परिश्रम न करने की प्रकृति। ये सभी समस्याएं जीवन के गलत दर्शन से उत्पन्न हुई है एक अन्य समस्या राजनीतिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के रूप में देखने को मिलती है इन सब के लिए जिम्मेदार हमारा तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व था हमारी समस्याओं के निराकरण के लिए विदेशी सिद्धांतो को लागु करना चाहा जबकि हमारी पस्स्थिितियां भिन्न है चैधरी चरण सिंह गांधीजी के विचारो से सहमत थे गांधीजी ने भारत के निर्माण को निम्न स्तर से ऊपर उठाना चाहा जिसका अर्थ था कि सबसे निर्धन और कमजोर वर्ग को आगे बढ़ाना इसलिए उन्होनें ग्राम को केन्द्र बिन्दु माना। चैधरी चरणसिंह ने कृषि के महत्त्व को स्वीकार करते हुए इसके विकास पर जोर दिया। भोजन मनुष्य की पहली आवश्यकता है जिसके बगैर वह जीवित नही रह सकता। खाद्यान्न की कमी से राजनैतिक अस्थिरता हो जाने की सम्भावना होती है कृषि के द्वारा 1. खाद्यान्नो के उत्पादन में वृद्धि 2. कच्चे माल का उत्पादन 3. जनता की कृय-शक्ति में वृद्धि 4. निर्यात हेतु कृषि उत्पादन प्राप्त होता है कृषि उद्योगों के लिए पूरक का कार्य करती है अतः कृषि विकास हमारे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं
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Pages:194
अजय सिंह (रिसर्च स्कोलर, सिघानिया विश्वविद्यालय पचेरी बड़ी झुन्झुनू, राजस्थान)