अफगानिस्तान का महत्वः भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा के विशेष सन्दर्भ में
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Pages: 95-98
दिनेश कुमार (एसिस्टेंट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन विभाग, सी.आर.एम. जाट काॅलेज, हिसार, हरियाणा)
किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ रक्षा तन्त्रों को मजबूत कर लेने मात्र से नहीं हो सकती। रक्षा तन्त्र के अलावा विश्व बिरादरी में मित्र देशों की संख्या भी राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रमुख तत्व है। जितनी अधिक हमारे मित्र देशों की संख्या होगी, उतना ही कोई देश आक्रमण के पहले सौ बार विचार करेगा। इस तथ्य का सबसे बड़ा उदाहरण इजराइल है। इसके पास रक्षा तन्त्र का अत्याधुनिक भण्डार है फिर भी वह तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक उसके ऊपर अमेरिका का हाथ नहीं है। मिश्र व अन्य देश अमेरिका की वजह से ही अत्यन्त छोटे भू-भाग वाले इजराइल पर कभी सम्पूर्ण युद्ध नहीं छेड़ते। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि आज भारत के पास मित्र देशों की संख्या न के बराबर है। अफगानिस्तान दक्षिण एशिया का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह एक पहाड़ी मुस्लिम राज्य है जो पूर्णतया स्थलबद्ध हैं। इसके उत्तर में सोवियत संघ, पश्चिम में ईरान, दक्षिण में पाकिस्तान दक्षिण पूर्व में पाकिस्तान तथा भारत के कराकोरम पर्वत मालाओं और जम्मू कश्मीर राज्य से घिरा हुआ है। अफगानिस्तान बहुत दिनों तक भारत का अंग था। प्राचीन काल में उसके पूर्वी भाग को गान्धार कहते थे। अफगानिस्तान में प्राकृतिक संसाधन जिसमें प्रमुख रूप से गैस व तेल बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। इसके साथ ही साथ अफगानिस्तान एक बड़ा बाजार भी है। यदि भारत अपने सम्बन्धों को अफगानिस्तान से और मजबूत करता है तो भारत की सबसे बड़ी आवश्यकता जो तेल और गैस है उसे कुछ हद तक दूर किया जा सकता है। मित्र देश होने के नाते हम अफगानिस्तान से तेल और गैस रिफाइनरी के लिए लाइसेन्स प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही साथ हम अपने यहां उत्पादित वस्तुओं के लिए अफगानिस्तान जैसे बड़े बाजार को भी प्राप्त कर सकते हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान चाहता है कि भारत व विश्व शक्तियाँ इस देश से निकल जायें ताकि वह अफगानिस्तान को पुनः तालिबानियों के हाथों में डाल दे और अपनी मनमानी पहले की तरह कर सके। वास्तव में पाकिस्तान अफगानिस्तान को आतंकवादियों की राजधानी बनाना चाहता है ताकि इन आतंकवादियों का प्रयोग वह भारत के विरुद्ध कर सके और जेहाद का नारा बुलन्द कर सके। एक खूफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफगानिस्तान में 34 जिलों में से 17 जिले अभी भी तालिबानियों के प्रभाव में हैं। अगर अफगानिस्तान में पुनः तालिबानियों का प्रभाव बढ़ता है तो यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा है क्योंकि आतंकवादियों की खेप तैयार करने में पाकिस्तान को पुनः अवसर मिल जाएगा और भारत को पुनः संसद हमला, मुम्बई धमाका जैसे अनेक आतंकवादी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता हैं। इसलिए हम अफगानिस्तान से होकर मध्य एशिया से भी अपने सम्बन्धों को जीवन्त कर सकते हैं। यह विदित हो कि दुनिया के तेल व गैस भण्डारों का 70 प्रतिशत मध्य एशिया में विद्यमान है। अतः हम निष्कर्श रूप से यह कह सकते हैं कि यदि हम तालिबान व पाकिस्तान के गठजोड़ को अफगानिस्तान की मदद से तोड़ देते हैं।
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दिनेश कुमार (एसिस्टेंट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन विभाग, सी.आर.एम. जाट काॅलेज, हिसार, हरियाणा)