मानवजनित मरूस्थलीकर ा एवं वनोन्मूलन
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Pages: 304-307
संकेत मिठारवाल (इंडीपे डेंट स्काॅलर, भूगोल, रोहतक, हरिया ाा)
प्रस्तुत शोधपत्र मानवजनित मरूस्थलीकर ा एवं वनोन्मूलन के अध्ययन से संबंधित है। मरूस्थलीकर ा एवं वनोन्मुलन प्राकृतिक व मानवीय कार ाांे से होता है। मरूस्थलीकर ा से पर्यावर ा संकट बढ़ रहा है। यह पारिस्थितक तंत्र में परिवर्तन के फ्लास्वरूप गु ाव्ता का विस्तार हो रहा है। इसका निरन्तर विस्तार भविष्य में एक विकट समस्या के रूप में उभरेगी। इसे रोकने के लिए वनोन्मूलन समस्या को रोकना भी अति आवश्यक है। वन एक अमूल्य संपदा है। अतः वनों के विनास को रोकने के लिए वनों का संरक्ष ा करना अति आवश्यक है। पर्यावर ा को संतुलित रखने के लिए मरूस्थलीकर ा व वनोन्मूलन दोनों विकट समस्या से निजात पाना होगा जो संर्पू ा मानव जाति के जागरूक होने से ही संभव है। जिससे हम वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को भी सुंदर और सुखद बना सकते हैं।
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Pages: 304-307
संकेत मिठारवाल (इंडीपे डेंट स्काॅलर, भूगोल, रोहतक, हरिया ाा)