स्वतन्त्रता सेनानी ईश्वर सिंह आजादः व्यक्तित्व एवं कृत्तित्व
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Pages: 325-329
महेन्द्र सिंह (इतिहास विभाग, दयानन्द काॅलेज, हिसार, हरियाणा)
भारत की स्वतन्त्रता की लड़ाई की इन धाराओं में अनेक व्यक्तियों ने अपनी भूमिका निभाई। ये व्यक्ति भारत के लगभग सभी क्षेत्रों, सभी वर्गों व समुहो से थे। 1947 में स्वतन्त्रता के पश्चात आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाने वाले व्यक्तित्वों पर कई तरह के शोध कार्य हुए, जिनके कारण उनकी भूमिका उजागर हो पायी। शोध के निष्कर्षों के उपरान्त ही विभिन्न क्षेत्र तथा व्यक्ति सामने आ सके। इसी कड़ी में यह कहा जा सकता है कि स्वतन्त्रता आन्दोलन से सम्बन्धित शोध का कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है बल्कि जारी है तथा नित नए-नए स्थानों से नए-नए व्यक्तियों की भूमिका उभर कर सामने आ रही है। स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास के सन्दर्भ में हरियाणा क्षेत्र की भूमिका भी अभी शोध के अभाव में सामने नहीं आ सकी है। हां, इस बारे में विभिन्न तरह के प्रयास अपनी-अपनी तरह से किए जा रहे हैं तथा उसके वांछित परिणाम भी प्राप्त हो रहे हैं। प्रस्तुत शोध भी इस कड़ी में एक छोटा सा प्रयास है जिसमंे दक्षिण हरियाणा क्षेत्र के एक व्यक्ति की भूमिका को समझने का प्रयास है जिसने अपनी भूमिका स्वतन्त्रता की तीनों विचार धाराओं में अलग-अलग ढंग से निभाई तथा वे जीवन काल में स्वतन्त्रता के ऐतिहासिक दिन को देखने में सफलता भी हांसिल कर सके। उस व्यक्ति का नाम ईश्वर सिंह था जिसे क्षेत्रवासी ‘‘आजाद’’ के नाम से जानते थे। ईश्वर सिंह आजाद का जन्म जिला महेन्द्रगढ़ के गांव राता-कलां के यादव परिवार में 1904 ई. में हुआ। इनकी माता का नाम रामकोर तथा पिता का नाम खूब राम था। इनके दादा हरनारायण की कृषि-लगन व शारीरिक शक्ति की चर्चा क्षेत्र मंे होती थी। ईश्वर सिंह का बचपन का नाम डूंगर सिंह था। गांव मंे स्कूल नहीं था तथा परिवार कृषि के कार्य को अधिक महत्व देता था अतः ये नाम मात्र ही शिक्षा प्राप्त कर सके।
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Pages: 325-329
महेन्द्र सिंह (इतिहास विभाग, दयानन्द काॅलेज, हिसार, हरियाणा)