भारत में एच0आई0वी0/एड्स: वर्तमान परिदृष्य
Pages:110-114
दलबीर सिंह सैनी एव संगीता सैनी (जिला समाज कल्याण अधिकारी विज्ञान, हिसार एवं प्राध्यापिका, जीव, रा0व0मा0 विद्यालय, गंगवा, हिसार)
मानव जाति ने भूतकाल में हैजा, प्लेग जैसी अनेक देशान्तरगामी महामारियों का सामना किया है। इसके बाद शताब्दी बदलते ही विश्व ने इनफल्यूंजा जैसी घातक बीमारी का व्यापक रूप से मुकाबला किया। इसके पचास से साठ साल बाद विश्व एक बार फिर एड्स नामक नई एवं भयंकर बीमारी का सामना कर रहा है। हालांकि एड्स का इतिहास इतना पुराना नही है परन्तु अभी तक इसके पूर्ण रोकथाम के लिए कोई दवाई उपलब्ध न होने के कारण संसार के हर भाग में लोग इसके नाम से ही भयभीत हो उठते हैं। एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डिफेसेंसी सिन्ड्रोम) नामक रोग है जो कि एच0आई0वी0 (हयूमन इम्यून वायरस) नामक विशाणु से फैलता है। एड्स विश्व की प्रमुख दस घातक बिमारियों में से एक है। इतिहासः संसार में एड्स का प्रथम मामला 1981 में अमेरिका के सान फ्रांसिसको शहर में समलैंगिकों के बीच सामने आया जबकि भारत में प्रथम मामला 1986 में चेन्नई (मद्रास) मंे व्यवासायिक सैक्स कार्यकर्ताओं के बीच सामने आया। आज एच0आई0वी0 का विशाणु संसार के हर कोने में पाया जाता हैै। संसार में एच0आई0वी0 के सबसे ज्यादा संक्रमित व्यक्ति अफ्रीका महादीप में 70 प्रतिशत है जहां वहां विश्व की कुल जनसंख्या के मात्र 10 प्रतिशत लोग रहते है। एड्स वास्तव में कोई रोग नही है। यह एक बहुगुणिक अभिलक्षण है जो सक्रमंण के फलस्वरूप शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को सिमित कर देता है, इस कारण शरीर का प्रतिरोधी तन्त्र अन्य रोगों के आक्रमण का सामना करने में असमर्थ हो जाता है।
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दलबीर सिंह सैनी एव संगीता सैनी (जिला समाज कल्याण अधिकारी विज्ञान, हिसार एवं प्राध्यापिका, जीव, रा0व0मा0 विद्यालय, गंगवा, हिसार)