महाभारत कालीन प्रमुख गांव एवं उनका वर्तमान स्वरूप
Pages:22-23
संजीत कौर (पी.जी.टी, संस्कृत, हरियाणा)
मानव का प्रकृति में कम से कम हस्तक्षेप तथा अधिक साहचर्य मानव कल्याण की आधारशिला है। धरती का अधिक दोहन, भले ही विकास के नाम पर हो, उसके प्राकृतिक स्वरूप को हानि पहुंचाता है। भूमि, वायु, जल व जंगलों के पास मानव कल्याण के स्त्रोत के रूप में विपुल शक्ति है। मानव प्रकृति से छेड़छाड़ करके विकार, विपत्ति, पीड़ा और विनाश को आमन्त्रित करता है। जीवन और प्रकृति में एक अटूट सम्बन्ध स्थापित करना और प्राकृतिक शक्तियों का आह्नान उसी प्रकार किया जाना चाहिए, जैसे भारत के प्राचीन लोगों ने सदियों पूर्व किया था।
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संजीत कौर (पी.जी.टी, संस्कृत, हरियाणा)