
भारतीय हिंदी साहित्य में स्त्री-विमर्श
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Page: 01-03
देवेन्द्र सिंह (हिंदी, राजकीय कन्या महाविद्यालय, डाटा, हिसार, हरियाणा)
भारतीय साहित्य की परंपरा की ओर दृष्टि डालने पर यह स्पष्ट होता है कि साहित्यिक रचनाओं में स्त्री-पुरूष दोनों का अंतर्भाव है। स्त्री, पुरूष के समान ही अनादि काल से लिखती आ रही है। मध्यकाल में कबीर के समान ही कश्मीर की भक्त कवियत्री ‘लल्लेश्वरी’ ने समाज के पाखंड और दोहरी नीतियों का विरोध किया। कृष्ण भक्त ‘मीरा’ ने भी राजकुल की मर्यादा से हटकर सन्यास लेकर भक्तिपरक गीत लिखे। आधुनिक युग में महादेवी वर्मा ने ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’ तथा श्रृंखला की कड़ियाँ’ में भारतीय पुरूष प्रधान मानसिकता से पीड़ित नारी का चित्रण किया है।
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देवेन्द्र सिंह (हिंदी, राजकीय कन्या महाविद्यालय, डाटा, हिसार, हरियाणा)