समकालीन संदर्भ में गाँधी दर्शन की प्रासंगिकता
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Page: 295-300
कविता (राजनीति विज्ञान विभाग, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा)
वैश्विक स्तर पर व्याप्त हिंसा, आतंकवाद, मतभेद, भूखमरी, बढ़ती बेरोजगारी व तनावपूर्ण माहौल में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि गाँधी जी के सत्य व अहिंसा पर आधारित दर्शन की आज कितनी प्रासंगिकता है। गाँधी जी के समय भी अनेक लोगों ने उनका मजाक उड़ाया व उनके दर्शन को अप्रासंगिक करार दिया, परन्तु वे यह भूल जाते हैं कि वर्तमान तनावपूर्ण माहौल में जब परमाणु युद्ध का खतरा विश्व पर मंडरा रहा है तो ऐसे में गाँधी दर्शन ही एकमात्र विकल्प बचता है। गाँधी दर्शन की प्रासंगिकता इस तथ्य में भी निहित है कि विश्व के अधिकांश विश्वविद्यालयों में गाँधी दर्शन पर चिंतन मनन हो रहा है। बीसवीं शताब्दी के प्रभावशाली व महान लोगों में नेल्सन मण्डेला, दलाई लामा, मिखाइल गोर्वोच्चोव, मदर टेरेसा, आंग सू की, मार्टिन लूथर किंग जूनियर, अन्ना हजारे व पोलैण्ड के लेख वालेसा इत्यादि के प्रेरणा स्रोत भी गाँधी जी ही रहे हैं। इन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों व देशों में गाँधीवादी विचारधारा का उपयोग किया और सफलता प्राप्त की। समय के साथ-साथ गाँधी दर्शन की प्रासंगिकता और बढ़ेगी क्योंकि गाँधी दर्शन मानव की मूलभूत प्रवृत्ति की विवेचना पर आधारित है।
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कविता (राजनीति विज्ञान विभाग, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा)